अभिकर्ता साथियों,
कृपया ध्यान दें, ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंटस एसोसिएशन (एलाइए) संगठन ही नहीं बल्कि एक आंदोलन है. हम सभी उच्च प्रबंधन के दमनकारी नीतियों का विरोध करते हैं. क्यों प्रथम दिनांक (02/04/2020 Ref co/mktg/ ZD/ A/ 5/2020 Reg, covid 19 Advance All ERC Eligible for Renewal commission).
अभिकर्ता संगठन की डिमांड रिनवल कमीशन का 50%, 3 माह तक अनुदान के रूप में दिया जाए. 5 वर्ष अभिकरण का कार्य करने वाले अभिकर्ताओं को साथ ही 5 वर्ष पूर्ण न करने वाले अभिकर्ताओं को एक विशेष पैकेज की व्यवस्था अनुदान के रुप मे की जाए. उच्च प्रबंधन को दिया गया है. 5 अभिकरण वर्ष पूर्ण करने वाले अभिकर्ताओं को ₹50000 ऋण के रूप में 15/04/2020 से 30/04/2020 एवं 15/05/2020 के बीच दो भागों में दिया गया. सर्कुलर में स्पष्ट उल्लिखित है कि अक्टूबर 2020 के बाद कटौती होगी एवं पूर्णतया ब्याज मुक्त होगा. उच्च प्रबंधन के कथनी और करनी में अंतर सर्कुलर दिनांक 04/04/2020 Ref co/ mktg/ zd/A/6/2020 Reg- Department of Recovery at Advance Due to covid-19 pandemic, जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि अग्रिम की कटौती 3 माह पश्चात की जाएगी. मार्च-अप्रैल मई के बाद 1 जून 2020 के कमीशन से यह दोहरी नीतियां क्यों, अग्रिम दिया गया 15/04/ 2020 से 15/05/2020 के बीच फिर इसकी गणना 03/2020 से क्यों साथ ही संगठन के पत्रांक 04/ 2020 दिनांक 16/04/2020 को श्रीमान अध्यक्ष महोदय भारतीय जीवन बीमा निगम से यह स्पष्ट जानकारी मांगी थी कि जब ब्याज मुक्त कोरोना अग्रिम है तो 01/06/2020 से सभी अग्रिम की कटौती नियमानुसार करने की पीछे आपकी मंशा क्या है?
सर्कुलर में इसका स्पष्ट उल्लेख क्यों नहीं किया गया कि कोविड-19 के अग्रिम पर 3 माह पश्चात भी कोई ब्याज नहीं लगेगा, ध्यान दें सर्कुलर दिनांक 27/04/2020Ref co/ mktg/ zd/ A/11/2020 Reconcession in eligibility criteria of club member ship यह पूरी तरह से प्रबंधन द्वारा दमनातमक प्रक्रिया के अंतर्गत लिया गया निर्णय है, जिसे संगठन सिरे से खारिज करता है साथ ही साथ पुनः अपने मांग पत्र दिनांक 27/03/ 2020 एवं स्मृति पत्र 16/04/2020 की मांगों को मान लेने का आग्रह प्रबंधन से करता है। अगर ऐसा नहीं तो प्रबंधन की नीति लाखों लाख रुपये का अपव्यय कर विलासिता की जिंदगी जीने वाले प्रबंधन एवं उनके सहयोगियों को चैन से नहीं रहने देगा.
संगठन साथियों ध्यान दें, हमारी मांगे उच्च प्रबंधन से इस प्रकार हैं:
(1)- कोरोना अग्रिम धनराशि को अनुदान घोषित किया जाए.
(2)- सदस्यता वर्ष 2019-20 की समस्त औपचारिकताओं को समाप्त करते हुए देय समस्त हितलाभों को जारी रखा जाए.
(3)- 5 अभिकरण वर्ष पूर्ण करने वाले अभिकर्ताओं को यथाशीघ्र स्थाई बोनस या वेतन घोषित किया जाए.
साथियों कोरोना महामारी से अति पीड़ित अभिकर्ता की वेदना कमीशन के आधार पर जीवन यापन करने वाले अभिकर्ता का नव व्यवसाय बंद, परिवर्तित कमीशन बंद, बीमा व्यवसाय की कार्यों को लेकर और अस्थिरता. देखें उच्च प्रबंधन की सोच हम सभी के हितों के रक्षार्थ कैसा प्रयास है अग्रिम कर्ज के रूप में ₹50000 जिस की कटौती 1 जून 2020 से आरंभ होगी. हिटलर शाही फरमान के तहत 2019-20 की क्लब सदस्यता की औपचारिकता को वर्ष 2020-21 के कल्ब सदस्यता के साथ न पूर्ण करने पर आपकी क्लब सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी तथा समस्त हितलाभों सहित सी एल आई ए भी समाप्त कर दिया जाएगा. क्या यह प्रबंधन की दमनकारी नीति परिलक्षित नहीं होती है. अगर हां तो इस दमन के खिलाफ हम सभी की इंकलाब जिंदाबाद की आवाज होगी.
हम इसे कभी मंजूर नहीं करेंगे, साथ ही संगठन की मांग को हम सभी प्रबंधन से मनवा कर रहेंगे. साथियों आपकी बीमा व्यवसाय के कारण ही तन, मन, धन, त्याग और तपस्या के कारण ही भारतीय जीवन बीमा निगम एशिया की सबसे बड़ी वित्तीय संस्था बनी है. समझें जब भी आप बीमा करके लाते हैं तो पेट्रोल आपका खर्च होता है समय आपका खर्च होता है व्यवसाय के लिए पॉलिसी धारकों को प्रोत्साहित करने हेतु अन्य प्रयास के अंदर किये गए समस्त खर्चे आपके होते हैं यानि आप का प्रथम वर्षीय कमीशन खत्म हो जाता है. उस व्यवसाय को करने के साथ ही जीवन यापन करने का संसाधन न्यूनतम परिवर्तित कमीशन आपका आधार होता है. अपने सहित अपने परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो जाता है. भविष्य अंधेरे में होता है कारण कि कभी भी दुर्घटना, गंभीर बीमारी, दैविक आपदा के कारण आपकी सारी जिम्मेदारी सड़क पर आ जाती है. संस्था उच्च प्रबंधन उस परिस्थितियों में भी आप से उम्मीद रखता हैं.
आप अपने एजेंसी के मानक एवं क्लब सदस्यता के मानक एवं सी एल आई ए का मानक पूरा नहीं करेंगे तो संस्था से बाहर का रास्ता प्रबंधन द्वारा दिखा दिया जाता है. क्या यह न्याय है? सोचें
(द्वितीय ) उच्च प्रबंधन से लगाए चतुर्थ कर्मचारी तक आपके किए गए व्यवसाय के आधार पर अपने लिए नीतियां बनाता है प्रबंधन लाभ के रूप में लेता है. वेतन, प्रोत्साहन बोनस व्यवसाय के नाम प्रमोशन, सीएल, पेट्रोल अलाउंस ,भाड़ा ,ग्रेजुएटी, लंच पैकेट, होम लोन, ग्रुप इंश्योरेंस, मेडिक्लेम, छुट्टियों का भुगतान, दुर्घटना हितलाभ, बीमारी, दैविक हितलाभ सहित मृतक आश्रित को एक स्थाई नौकरी. क्या यही न्याय है?
संगठन की मांग उच्च प्रबंधन हम सभी के लिए नीतियां भी वैसे ही बनाए जैसे एक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए बनाया है. हमें वह सारी सुविधाएं चाहिए जो एक वेतन भोगी कर्मचारी को मिलती है, जिससे कि हम सभी का जीवन भी सुरक्षित हो सके साथियों यह लड़ाई लगातार कई वर्षों से चल रही है. इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगातार लग रहे हैं इस आवाज को पूरे देश में स्थापित प्रबल तरीके से करनी है, जिससे कि प्रबंधन की नींद हराम हो सके और हमारी मांगे पूरी हो सके.
मेरे साथ बोलें,
इंकलाब जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद
एस एल ठाकुर
(राष्ट्रीय अध्यक्ष) ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंट्स एसोसिएशन (पूरे देश में मात्र अभिकर्ताओं का एक विधि सम्मत संगठन, जो आप के हितों के रक्षार्थ निरंतर संघर्ष में है.)
याचना नहीं अब रण होगा, संग्राम बड़ा भीषण होगा.
निगम को सींचा खून से हमने, इसे नहीं हम मिटने देंगे.
बहुत सहा अपमान अभिकर्ता, अब नहीं हम रहने देंगे.
रोजी-रोटी, जॉब- सुरक्षा, यही मांग हमारा है.
प्रबंधन अब दे दो नहीं तो क्रांति ही सहारा है.