भारत माता के वीर सपूत जिन्होंने अपना सर्वस्व भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर अपने प्राण दिए थे, स्वतंत्रता के लिए वतन पर कुर्बान होने वाले उन शहीदों को शहीदी दिवस पर हर वर्ष देशवासी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की शहादत को आज के दिन सहृदय नमन किया जाता है. हमारा सभी देशवासियों से निवेदन है कि शहीदों के पदचिन्हों पर चलकर भारत माता का मस्तक ऊंचा करने में अपना योगदान अंकित करें.
23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को फांसी दी गई थी. इन तीनों देशभक्तों को अंग्रेजी अफसर सांडर्स की हत्या और सेंट्रल एसेंबली में बम फेंकने के आरोप में फांसी दी गई थी. फांसी सजा के लिए 24 मार्च का दिन तय किया गया था, लेकिन लोगों के विरोध से डरकर अंग्रेजी सरकार ने एक दिन पहले ही उन्हें फांसी दे दी गई, इससे आहत होकर देशवासियों ने जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन किया था.
भारत माता के इन पराक्रमी सपूतों को आज भी देश के नौजवान अपनी प्रेरणा मानते हैं और इनके संघर्षों व आदर्शों पर चलते हुए देशभक्ति के पथ पर चलते हैं। अंग्रेजों ने भले ही हमारे इन तीनों वीर सपूतों को समय से पहले हमसे छिन लिया हो लेकिन इनकी कुर्बानी, इनके प्रेरक विचार और बुलंद क्रांतिकारी सिद्धांती आज भी हम सभी के दिलों में जिंदा है और आने वली पीढ़ी भी इनकी वीरता की दास्तां याद रखेगी।
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