अपनी कड़ी मेहनत और आत्म विश्वास से 60 वर्ष की आयु में भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शूटिंग में मैडल जीतने वाली शूटर दादियों को कौन नहीं जानता...प्रकाशो तोमर और चंद्रो तोमर शूटिंग जगत के ऐसे नाम हैं जो अपने आप में महिला सशक्तिकरण की अनोखी मिसाल हैं, बागपत के जोहड़ी गांव से आने वाली दादियों की इस जोड़ी ने अपने समर्पित भाव से नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया और सभी महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गयी. शूटर दादियों की यह जोड़ी हाल ही में खतौली तहसील के अंतवाडा गांव में पहुंची, जहां उन्होंने समाज को जागरूक कर रही काली संरक्षण मुहिम में हाथ बंटाया.
नीर फाउंडेशन के प्रयासों से जैसे ही काली को अपने उद्गम स्थल पर पुनर्जीवन मिला, यह नदी और गांव अंतवाडा दोनों ही चर्चा का केंद्र बन गए. लगातार सार्थक प्रयास किये जाए तो स्वाभाविक सी बात है कि जन जन की मानसिकता तो बदलेगी ही...कुछ ऐसा ही नजारा आजकल अंतवाडा में देखने को मिल रहा है. यहां नीर फाउंडेशन से रमनकांत त्यागी ने किसानों में खोयी हुयी काली यानि नागिन नदी को लेकर एक क्रांति पैदा की थी, जिसका परिणाम आज लगभग वर्षभर बाद काली की धारा के रूप में देखने को मिल रहा है. यहां दूर दूर से लोग काली को देखने और प्रयासों को प्रोत्साहन देने के लिए आ आ रहे हैं और साथ ही श्रृद्धा से नतमस्तक होते हुए काली का जल गंगाजल के समान भरकर ले जा रहे हैं.
इसी श्रृंखला में शूटर दादियां भी बीते शुक्रवार काली उद्गम स्थल पर भ्रमण के लिए आयीं, जहां उन्हें देखने और मिलने के लिए ग्रामीणों का तांता लग गया. सभी उनके साथ मिलकर सेल्फी लेने और दादियों का आशीर्वाद लेने में जुट गए. शूटर दादी प्रकाशो तोमर और चन्द्रो तोमर ने काली नदी को देखकर श्रृद्धा से हाथ जोड़े और साथ ही फावड़ा चलाकर श्रमदान में अपना योगदान दर्ज कराया. दादियों के साथ ही शुक्रवार को देहाती फिल्मों के नायक विकास बालियान भी काली के दर्शन के लिए अंतवाडा आये, उन्होंने दादियों से आशीर्वाद लेने के साथ साथ श्रमदान और पौधारोपण कार्यक्रम में सहयोग दिया.
दोनों दादियों ने रमनकांत त्यागी के प्रयासों और ग्रामीण समाज के सहयोग की सराहना की. उन्होंने बताया कि यदि हम सच्चे मन से कुछ चाहे तो लक्ष्य को पूरा करना आसान हो जाता है और ऐसा ही कुछ आज रमन कान्त भी कर रहे हैं, जिसके लिए उनकी जितनी सराहना की जाये कम है. इसके साथ ही दादियों ने बताया कि हमने आज तक काली यानि कि नागिन नदी के बारे में केवल भूगोल की किताबों में ही पढ़ा है, पर कभी देखा नहीं. साथ ही उन्होंने बताया कि आज तक उन्होंने जमीन से स्वत: प्रस्फुटित किसी नदी को नहीं देखा था पर आज काली के दर्शन करके वह इच्छा भी पूरी हो गयी. नदी कल्याण की इस मुहिम में ग्रामीणों की भूमिका अहम है और उनके सहयोग से ही इस मुहिम को बल मिलेगा. बारिश के बीच ग्रामीणों ने शूटर दादियों का स्वागत किया और संकल्प लेते हुए कहा कि वे नदी संरक्षण के लिए प्रयासरत रहेंगे. दोनों दादियों ने गांव में शूटिंग के प्रति जिज्ञासा रखने वाले बच्चों को आशीर्वाद दिया और समर्पण के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.
इसके अतिरिक्त शूटर दादियों ने बच्चों की शिक्षा पर विशेष प्रकाश डाला और बताया कि वर्तमान समय में शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है और विशेष तौर पर सभी परिवारों को अपनी बेटियों को जरुर शिक्षित करना चाहिए क्योंकि शिक्षा से ही विकसित समाज और विकसित राष्ट्र की संकल्पना की जा सकती है और बेटियां अगर शिक्षित होगी तो समाज में नया परिवर्तन आयेगा. साथ ही दादियों ने शूटिंग में भी लड़कियों को करियर बनाने की बात रखी और कहा कि यह एक ऐसा खेल है जो हमें मानसिक व शारीरिक रूप से सशक्त करता है. दादियों ने गांव के शूटर बच्चों को भी आशीर्वाद दिया.
देहाती फिल्मों के प्रसिद्द कलाकार विकास बालियान ने नदी मित्र रमनकांत त्यागी की सराहना करते हुए कहा कि वह रियल लाइफ हीरो हैं, जिन्होंने समाज को नदी संरक्षण का एक सुंदर सन्देश तो दिया ही है, साथ ही अपनी पहचान खो चुकी एक नदी के उद्धार के लिए उन्होंने जो प्रयास किये हैं वह अनूठे हैं और उनकी जितनी प्रशंसा की जाये वह कम है. उन्होंने बताया कि ग्रामवासियों की भूमिका भी इस मुहिम में अहम है क्योंकि उनके समर्थन से आज यह अभियान यहां तक पहुंच पाया है.
विकास बालियान ने काली संरक्षण की मुहिम में योगदान देने की बात करते हुए कहा कि वें जल्द ही किसी फिल्म की शूटिंग काली नदी के किनारे करेंगे, जिसमें वे काली के इतिहास और स्वच्छता अभियान को परदे पर दिखाने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि परदे पर काली को देखने से लोगों में उसके प्रति उत्साह बढ़ेगा और लोग नदी से जुडाव महसूस करेंगे.
नदी मित्र रमनकांत त्यागी का कहना है कि काली को जीवन मिलने से केवल अंतवाडा ही नहीं बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी एक जनक्रांति देखने को मिल रही है. आमजन का नदियों से जुड़ना, नदियों के संरक्षण के लिए प्रयास करना धीरे धीरे बढ़ रहा है. काली नदी के उद्गम स्थल पर ग्रामीणों व किसानों से मिल रहा सहयोग इस बात का प्रमाण है कि लोग नदियों को लेकर जागरूक हो रहे हैं. इसके साथ ही शासन-प्रशासन का समर्थन मिलना भी एक सकारात्मक परिवर्तन की ओर इंगित कर रहा है.
इसके साथ ही रमनकांत त्यागी ने उपस्थित मीडियाकर्मियों को नदी के इतिहास ओर योजनाओं की समस्त जानकारी देते हुए बताया कि लोकभाषा में नागिन के नाम से प्रसिद्द इस नदी को जीवन देने के लिए झील का कार्य पूरा हो चुका है और तालाबों की खुदाई का काम जारी है. साथ ही सिंचाई विभाग से वार्तालाप कर नदी के किनारों का सीमांकन करने और गांव से निकासी किये गए पानी को साफ़ करने की योजनाओं पर विचार-विमर्श जारी है और नदी के दोनों किनारों पर एक से डेढ़ किलोमीटर के क्षेत्र को सघन वन के तौर पर विकसित किया जाना है, जिसके लिए पौधारोपण का कार्य शुरू हो चुका है.