पर्यावरण संरक्षण
की दिशा में कृत संकल्पित रमन कांत त्यागी जी एक ऐसी युवा शक्ति का नाम है, जिन्होंने
अपना समस्त जीवन प्रकृति की सेवा में ही लगा रखा है. जिस उम्र में युवा वर्ग
भविष्य के सुनहरे सपने बुनता है, उस आयु में रमन जी ने प्रकृति के मर्म को समझने
का प्रयास किया. भले ही उनके पास आर्थिक संसाधनों का अभाव था, अनुभव के नाम पर भी
कुछ नहीं था, फिर भी अपने अपार हौसलों के बलबूते उन्होंने प्रकृति के सभी उपागमों
की सुरक्षा के लिए आगे बढ़ने की ठान ली.
नीर फाउंडेशन के
माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को दिया बल –
विज्ञान से स्नातक रमन जी ने सर्वप्रथम पर्यावरणविद अनिल रना जी के साथ जुड़कर प्रकृति के दर्द को करीब से जाना पहचाना. जिससे उन्हें ज्ञात हुआ कि प्रकृति की मानव जीवन से क्या अपेक्षाएं हैं?
इसके उपरांत पर्यावरण और समाज के प्रबंधन एवं संरक्षण में शामिल विभिन्न हितधारकों की क्षमता निर्माण की तत्काल आवश्यकता को साकार करने के उद्देश्य से रमन जी के द्वारा वर्ष 2004 में नीर फाउंडेशन की स्थापना की गई. अस्तित्व में आने के बाद से ही नीर फाउंडेशन ने जमीनी स्तर की गतिविधियों, जन जागरूकता, सामुदायिक कार्रवाई, फील्ड वर्क और सूचना प्रसार के माध्यम से सभी के लिए एक स्थायी वातावरण विकसित करने की दिशा में निरंतर कार्य किया है.
काली नदी को
प्रदूषण मुक्त बनाने की पहल –
वर्ष 2004 में ही रमन जी ने काली नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने की मुहिम छेड़ी हुई है. उन्होंने संबंधित विभागों एवं अधिकारियों के साथ मिलकर काली नदी से जुड़े नालों की सैंपलिंग प्रक्रिया आरम्भ करायी और अपने मुद्दों को सरकार के कानों तक पहुंचाया. उनके द्वारा किये गये निरीक्षण के आधार पर यह ज्ञात हुआ कि जहरीले रसायनयुक्त और विषकर बैक्टीरिया से भरे यह नाले काली नदी को बीमार कर रहे हैं.
विशेष रूप से मेरठ में कार्यरत रमन जी के प्रयासों को वृहद् स्तर पर सराहा जा रहा है, यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रतिवर्ष आयोजित जल संरक्षण की सबसे बड़ी वर्कशॉप “वाटरकीपर कांफ्रेंस” में भी उन्हें भारत के प्रतिनिधि के तौर पर आमंत्रित किया जा चुका है. उनके प्रयासों का ही नतीजा था कि पूर्व जल संसाधन मंत्री श्री सोमपाल शास्त्री जी ने न केवल उनके कार्यों की प्रशंसा की, अपितु पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बहुत से ग्रामों में नदियों के प्रति जन-जागरूकता अभियानों का भी श्री गणेश किया.
नदियों और पर्यावरण की सेहत सुधारने के मंतव्य से रमन जी काफी समय से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट आदि इंस्टिट्यूटस के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त उन्होंने मेरठ एवं आस पास की नदियों को नवजीवन देने के उद्देश्य से इंस्टिट्यूट ऑफ हाइड्रोलोजी, रुड़की के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर भूजल गुणवत्ता, स्त्रोतों एवं नदी जल के नमूने लेकर शोध करने भागोदारी की.
निर्मल हिंडन
अभियान के प्रणेता –
हिंडन की अविरलता बनाए रखने के उद्देश्य से रमन जी ने हिंडन के उद्गम स्थल की खोज के लिए बहुत से अधिकारियों के साथ मिलकर शिवालिक पहाड़ियों की यात्रा की, जिसके परिणामस्वरुप तत्कालीन मेरठ मंडलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार भी इस अभियान से जुड़ गए और “निर्मल हिंडन” नाम से एक ऑफिस का निर्माण किया, ताकि सभी योजनाएं सुचारू रूप से चलाई जा सकें.
हिंडन नदी को लेकर उन्होंने बहुत सी बैठकों में पॉवर प्रेजेंटेशन भी प्रस्तुत किया तथा इन नदियों से जुड़े हर एक पक्ष को दृष्टिगोचर करते हुए अपने गहन शोध एवं धरातलीय अनुभवों के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर उन्हें सभी के सामने रखा. साथ ही “निर्मल हिंडन अभियान” के तहत ग्रामवासियों, प्रशासनिक अधिकारियों एवं जन-साधारण को साथ में लेकर उन्होंने स्वयं ही हिंडन को स्वच्छ बनाने का बीड़ा उठाया. उनके इन अथक प्रयासों की गूंज प्रदेश के मुख्यमंत्री तक भी पहुंची और उन्होंने भी उनके इन प्रयासों की सराहना करते हुए नमामि गंगे अभियान के अंतर्गत इन नदियों को स्वच्छ करने की भी बात रखी. रमन जी स्वयं भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सम्मुख अपनी पॉवर प्रेजेंटेशन रख चुके हैं.
नदी-संरक्षण को
लेकर बढ़ी है गंभीरता –
रमन जी के निरंतर
प्रयासों से केवल जन साधारण में ही नहीं प्रशासन में भी अब गंभीरता नजर आने लगी
है, इसके तहत नमामि गंगे परियोजना से जुड़ी बहुत सी योजनाएं मूर्त रूप लेने लगी हैं.
बहुत सी औद्योगिक इकाइयों को प्रशासन की ओर से नोटिस भेजा जा रहा है, नालों में
ट्रीटमेंट प्लांट लगवाना और जन जागरूकता अभियानों को बढ़ावा देकर समाज में नदियों
के प्रति नव चेतना लाई जा रही है.
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